महाभारत में उतरा कौन थी उसका अभिमन्यु के साथ क्या सम्बन्ध था ? — Utara Kaun Thi?

दोस्तों हम सब जानते हे के महाभारत के ग्रन्थ में कई ऐसे पात्र हे जिसके बारे में बहुत काम लिखा गया हे या फिर ना के बराबर लिखा गया हे। आज हम महाभारत के ऐसे ही एक महत्वपूर्ण पत्र उतरा के बारें में जानेंगे। दोस्तों क्या आप ने भी पहले कभी इस नाम के बारे में नहीं सुना था तो आपके मन में जरूर से ये प्रश्न का उद्भव जरूर हुआ होगा की आखिर महाभारत में उतरा थी कौन (Mahabharat me utara kaun thi ?) और उसका पांडवो के साथ क्या सम्बन्ध था? चलिए आज हम आपको अपने आर्टिकल के झरिये इस सवाल का जवाब देने का प्रयास करते हे।
महाभारत में उतरा कौन थी ? (Mahabharat mein Utara Kaun Thi?)
उतरा मत्स्यदेश यानि के विराटनगर के राजा विराट और उनकी रानी सुदेष्णा की पुत्री थी। हम सब जानते हे की पांडवो को दुर्योधन द्वारा हस्तिनापुर की भरी सभा में अपमानित करके १२ साल का वनवास और १ साल का अज्ञातवास दिया गया था। और हम सब जानते हे के पांडवो ने अपने १ साल का अज्ञातवास मत्स्यादेश यानी की विराट नगर में बिताया था। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने राजा विराट की पुत्री को नृत्य सिखाने का काम किया था। तो ऐसे में ये कहना ठीक रहेगा की उतरा विराट राजा की पुत्री होने के साथ साथ अर्जुन की शिष्या भी थी। उतरा के भाई का नाम उतर था।
हम सब जानते हे की अर्जुन ने विराटनगर में वेश बदलकर अपना नाम बृहनल्ला रखा था और वो शाश्त्र और नृत्य में पारंगत हे ऐसा कहकर राजा विराट से उनकी पुत्री को नृत्य सीखने का काम प्राप्त किया था। बृहनल्ला यानि की अर्जुन के अच्छे स्वभाव और कला में पारंगतता देखकर विराट राजा ने प्रसन होकर उसे अपनी पुत्री को नृत्य सिखाने का काम दिया था। अर्जुन ने भी बड़ी ही लगन से उतरा को नृत्य और शास्त्र की शिक्षा दी थी।
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उतरा का विवाह किसके साथ हुआ था ? (Utara Ka Vivaah Kiske Saath Hua tha?)
हम सब जानते हे की जब भीम ने द्रौपदी से बदसुलूकी करने की वजह से विराट राजा के सेनापति और उनके साले यानि की किंचक को मार दिया तब विराट राजा को पांडवो के अज्ञातवास और उनके वेश बदलकर रहने की जानकारी मिली थी। ऐसे में विराट राजा को अपनी गलतिओ पर काफी पछतावा हुआ और उन्होंने सभी पांडव भाईओ से माफ़ी मांगी और उनसे स्थायी मित्रता करने के लिए उनकी और हाथ बढ़ाया।
उन्होंने साथ ही अर्जुन से अपनी पुत्री उतरा के साथ विवाह करने का भी प्रस्ताव रखा। लेकिन अर्जुन उतरा को हमेशा अपनी पुत्री और शिष्या के रूप में देखते थे इसीसलिए उन्होंने विराट राजा द्वारा दिए गए ये विवाह प्रस्ताव को बहुत ही शांति से मना कर दिया। लेकिन अर्जुन ने उनके और उनको सुभद्रा द्वारा प्राप्त हुए पुत्र अभिमन्यु के लिए उतरा का हाथ माँगा। दोस्तों हम सब जानते हे की अभिमन्यु एक वीर योद्धा थे इसीलिए विराट राजा ने ये प्रस्ताव का स्वीकार कर लिया और इस तरह से उतरा का विवाह अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु के साथ हुआ था।
अभिमन्यु और उतरा का पुत्र (Abhimanyu Ka Putra Kaun tha?)
दोस्तों यहाँ पे में आपको बताना चाहता हूँ की जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तब उतरा गर्भवती थी। उसके पेट में अभिमन्यु का पुत्र पल रहा था।
यह बात तो हम सब जानते हे अभिमन्यु की मृत्यु कौरवो के पक्ष में से युद्ध लड़ रहे जयद्रथ के चक्रव्यूह में फंस कर हो गई थी। लेकिन क्या आप जानते हे की उतरा और अभिमन्यु के पुत्र के साथ क्या हुआ था तो चलिए आज आपको अभिमन्यु और उतरा के पुत्र की कहानी बतातें हे। गुरु द्रौणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने पुरे पांडव कुल का नाश करने की प्रतिज्ञा ली थी। यह उद्देश्य पूरा करने के लिए उसने द्रौपदी और पांडवो के पुत्र को छल से मार भी दिया था।
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साथ ही द्रौणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने अपना ब्रह्माश्त्र का प्रयोग उतरा के पेट में पल रहे शिशु के ऊपर भी किया था। उस समय तो भगवान श्री कृष्ण ने उतरा के गर्भ में पल रहें शिशु की रक्षा भी की थी। लेकिन समय के साथ यह शिशु मृत पैदा हुआ था। लेकिन फिर भी वासुदेव श्री कृष्ण की असीम कृपा से उन्होंने ने यह शिशु को बचा लिया था। और इस तरह से भगवान कृष्ण की असीम कृपा से अभिमन्यु और उतरा का पुत्र मृत पैदा होने के बाद भी जीवित हुआ और उसका नाम परीक्षित रखा गया था। यहीं परीक्षित आगे चल कर जब युधिष्ठिर और पांडवो ने राजपाठ को छोड़ने का निर्णय किया था तब परीक्षित को ही हस्तिनापुर का पूर्ण कारभार सौंपा गया था।
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Originally published at http://indianapex.in on March 4, 2021.